Śabdārthasaundarya-sahasracandrī

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Saṃskr̥ta Saṅgīta Kalā Prakāśana, 2001 - 434 pages
Festschrift in honor of 81st birth anniversary of Jadagīśa Sahāya Kulaśreshtḥa, b. 1922; comprises contributed articles presented at National Seminar; chiefly on Sanskrit literature; includes four papers on Shakespeare.

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Contents

PANEGYRICON
1
श्रद्धेयो जगदीश्वरो विजयते पीयूषवर्षोत्सवे
7
अहो महिमा महीयसाम्
13
Copyright

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Common terms and phrases

अत्यन्त अथवा अन्य अपनी अपने अभिव्यक्त अर्थ अर्थ का अर्थात् आदि इति इन इस प्रकार इसी उनके उस उसके उसे एक एवं कर करता है करती करते हुए करते हैं करने कवि कवि ने कहते कहा का प्रयोग कालिदास काव्य किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के रूप में के लिए के समान के साथ को कोई क्योंकि गई गया है जब जा जाती जिस जो तथा तरह तो था दमयन्ती दिया दृष्टि दोनों द्वारा नहीं ने पद्य पर परन्तु पृ प्रतीत प्रयुक्त प्रस्तुत प्राप्त भाव भी मन्त्र महाकवि यह यहाँ या ये रहा है रूप से वर्णन वह वही वा वाली वाले विशेष वे शब्द का शब्दार्थ शब्दार्थसौन्दर्य सकता है सभी सर्ग सा सुन्दर से सौन्दर्य स्पष्ट ही हुआ हुई है और है कि हो होता है होती होते हैं होने Delhi Hindi Ibid love meaning Music poet Sanskrit verse word words

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